
रीवा. Black fungus के कहर से अब शायद ही कोई जिला बचा हो। हर तरफ इस पोस्ट कोविड Post covid disease से लोग त्रस्त हैं। कहीं तो अस्पतालों में इलाज हो जा रहा पर कहीं वो भी नहीं हो पा रहा है। इतना ही नहीं इस जानलेवा बीमारी के उपचार के लिए संक्रमित अंग को काट कर निकालना पड़ रहा है। लेकिन कुछ ऐसे जिले भी हैं जहां ऑपरेशन के बाद इस्तेमाल होने वाली इंजेक्शन ही नहीं मिल रही। अब इस घातक बीमारी ने रीवा में भी दस्तक दे दी है।
जानकारी के मुताबिक जिले में ब्लैक फंगस के 12 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। इसमें एक सतना जिले की महिला भी शामिल है। एक मरीज को इलाज के लिए भोपाल रेफर कर दिया गया है।
ब्लैक फंगस के इलाज में जुटे डॉक्टरों की माने तो लगातार मरीजों की देखरेख की जा रही है। इनका इलाज श्याम शाह मेडिकल कॉलेज रीवा के रिसर्च सेंटर संजय गांधी अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा किया जा रहा है। इन मरीजों के लिए अलग से एक यूनिट बनाने का आदेश शासन से भी जारी हो चुका है। उम्मीद है कि सेपरेट ब्लैक फंगस यूनिट जल्द काम करने लगेगी। फिलहाल अनुभवी डॉक्टरों द्वारा ऐसे रोगियों के स्वास्थ्य पर नजर रखी जा रही है। स्वास्थ्य संबंधित समस्त जानकारी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ मनोज इंदुलकर को दी जा रही है।
ब्लैक फंगस यानी म्यूकारमायकोसिस कोरोना संक्रमण की सबसे खतरनाक स्टेज मानी जा रही है। इस ब्लैक फंगस के चलते आंखों की रोशनी का जाना सबसे डरावना परिणाम है। ये फंगस दिमाग-आंख की नसों में खून के बहाव को अवरुद्घ कर जानलेवा भी साबित हो रहा है। जिले में ब्लैक फंगस के जो मरीज सामने आए हैं, उनकी उम्र 35 से 50साल के बीच है।
"अब तक कुल 12 संदिग्ध मरीज मिले हैं कि जिसमें 9 की पुष्टि हो चुकी है तथा एक रेफर के सतना से रीवा लाया गया है जबकि दो की रिपोर्ट आना शेष है।"-डॉ मनोज इंदुलकर, डीन श्याम शाह मेडिकल कालेज, रीवा
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