
रीवा. ऐसी घटनाएं ही यह सोचने को मजबूर कर देती हैं इंसानियत नाम की चीज ही नहीं रह गई है, मानवीय संवेदना खत्म हो चुकी है। अब एक पिता अपनी घायल बेटी को अस्पताल पहुंचाने के लिए लोगों की मिन्नतें करता रहा। लेकिन किसी ने एक न सुनी। वह 8 घंटे तक लोगों के हाथ-पांव जोड़ता रहा, रिरियाता रहा। पर जब कोई सुनवाई न हुई तो खुद ही कंटेन्मेंट जोन की जाली तोड़ी और हाथठेला से बच्ची को अस्पताल पहुंचाया।
घटना के संबंध में मिली जानकारी के मुताबिक रीवा के मऊगंज नगर परिषद के वार्ड छह में हीरा लाल गुप्ता की 23 वर्षीय बेटी शनिवारी की दोपहर 2 बजे अपने घर की छत से नीचे गिर गई। उसे गंभीर चोटं आई। बेटी के इलाज के लिए उसका पिता हीरालाल उसे अस्पताल ले जा रहा था लेकिन वार्ड पांच व छह में पिछले दिनों 11 संक्रमित मिले थे। इसलिए दोनों वार्डों को कंटेंनमेंट जोन बनाया गया है। ऐसे में अस्पताल तक जाने का रास्ता भी बंद था। ऐसे में हीरालाल ने अधिकारियों और कर्मचारियों से गुहार लगाई, मगर उसकी किसी ने नहीं सुनी। इसमें आठ घंटे बीत गए। फिर उसने खुद ही कंटेन्मेंट जोन को घेरने के लिए लगाई गई जाली को तोड़ा और हाथठेले में लाद कर बेटी को अस्पताल पहुंचाया। तब रात के करीब 11 बज चुके थे। हालांकि अस्पताल पहुंचने के बाद फौरन बेटी का इलाज शुरू हो गया। अब वह खतरे से बाहर बताई जा रही है।
वैसे इस घटना से क्षेत्रीय लोगों में आक्रोश है। उनका कहना है कि ठीक है कि कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए कंटेन्मेंट जोन बनाए जा रहे हैं। लेकिन इस दौरान कोरोना के अलावा भी घटना-दुर्घटनाएं हो रही हैं। अन्य मर्ज हो रहे हैं। ऐसे में क्या उन पीड़ित रोगियों को इलाज मुहैया कराने के लिए भी प्रशासन को आगे आना चाहिए। और कुछ नहीं तो अस्पताल तक जाने का मार्ग तो उपलब्ध कराना ही चाहिए।
"घटना की जानकारी हुई है, यह गलत है कि मदद मांगने पर प्रशासनिक अफसरों ने उसकी मदद नहीं की। मैं मामले की जांच करा रहा हूं।"-एपी द्विवेदी, एसडीएम मऊगंज
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