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दसवीं शताब्दी की विशालकाय प्रतिमा का मंदिर गिराया, खुले आसमान के नीचे पूजा कर रहे लोग

Thursday, May 27, 2021

/ by REWA TIMES NOW



रीवा। जिले के गुढ़ के नजदीक स्थित भैरोंनाथ मंदिर के कायाकल्प का कार्य इनदिनों किया जा रहा है। ठेकेदार ने पुराने मंदिर को तोड़कर उसके चारों ओर भव्य मंदिर बनाने की शुरुआत की थी लेकिन अधूरे में ही कार्य रोक दिया। इस वजह से मंदिर परिसर में अव्यवस्था हो गई है और यहां पर आने वाले लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जिसका स्थानीय लोगों ने विरोध करते हुए लोक निर्माण विभाग और हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों के पास शिकायत की है। इसके बावजूद अधिकारियों की ओर से कोई व्यवस्था नहीं बनवाई गई है। अभी लॉकडाउन का समय चल रहा है इसलिए मंदिर में दर्शन के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के आसपास के लोग ही आ रहे हैं। जैसे ही लॉकडाउन खुलेगा यहां दूर-दूर से लोग आएंगे तब समस्या और बढ़ेगी। मंदिर में पूजा करने वाले विद्यासागर मिश्रा का कहना है कि कई महीने से मंदिर तोड़कर प्रतिमा को खुले आसमान के नीचे छोड़ दिया गया है। वह तो तपती धूप में पूजा कर रहे हैं लेकिन यहां जो लोग आते हैं उन्हें परिक्रमा करने तक के लिए जगह नहीं हैै। उन्होंने बताया कि यहां पर ठेकेदार से जुड़े जो लोग आते हैं वह भी नहीं बता पा रहे हैं कि कब से कार्य प्रारंभ कराएंगे और कब इसे पूरा कराएंगे। पुजारी ने कहा कि वह चाहते हैं कि समय रहते भैरोंनाथ की प्रतिमा को छाया मिल जाए ताकि पूजा पाठ में समस्या नहीं हो। उनका कहना है कि परिसर के दूसरे हिस्सों का कार्य बाद में भी कराया जा सकता है। यह भी कहा जा रहा है कि लॉकडाउन के बाद से मजदूर चले गए तो कार्य रुका हुआ है।
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सीएसआर मद से कराया जा रहा है निर्माण


जिले में गुढ़ के नजदीक खामडीह में भैरव प्रतिमा स्थित है। 10वीं शताब्दी के मध्य का इसका निर्माण माना जाता है। लंबे समय से पहाड़ में यह परिसर उपेक्षा का शिकार था। जिस पर बदवार पहाड़ में स्थापित किए गए सोलर पॉवर प्लांट की कंपनियों ने सामाजिक उत्तरदायित्व(सीएसआर) के तहत इस परिसर के कायाकल्प के लिए राशि आवंटित की है। जिसके चलते 1.65 करोड़ रुपए मंदिर और उसके आसपास सौंदर्यीकरण के लिए कार्य प्रारंभ कराया गया है। ठेकेदार ने मंदिर का कार्य कराने से पहले ही दुकानों के निर्माण का कार्य करा डाला है, जबकि वह हिस्सा बाद में भी कराया जा सकता था।

राज्य संरक्षित स्मारक है घोषित


मध्यप्रदेश प्राचीन स्मारक पुरातत्वीय स्थल एवं अवशेष अधिनियम 1964 का (12) तथा नियम 1976 के अधीन भैरवनाथ प्रतिमा को प्रांतीय महत्व का राज्य संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है। इसे किसी तरह की हानि पहुंचाने अथवा दुरुपयोग करने पर तीन साल का कारावास और अर्थदंड की सजा का प्रावधान किया गया है। इस आशय की सूचना का बोर्ड भी मंदिर परिसर के पास लगाया गया है।

- कारीगरी का नायाब तोहफा भी है


गुढ़ के नजदीक खामडीह में भैरव प्रतिमा स्थित है। इसका निर्माण 10वीं-11वीं शताब्दी के मध्य का माना जाता है। इसकी कारीगरी भी विशेष मानी जाती है। प्रतिमा की लंबाई 8.50 मीटर तथा चौड़ाई 3.70 मीटर है। दाई ओर हाथ में रुद्राक्ष की माला है, दाईं ओर के ऊपरी हाथ में सर्प और नीचे के हाथ में कलश है। गले में रुद्राक्ष की माला और सपज़् लिपटे हुए हैं। कमर में सिंह मुख का अंकन है। प्रतिमा के दोनों ओर एक खड़े हुए-एक बैठे हुए पूजक का अंकन है। इस तरह की विशालकाय और कलाकृतियों से सजी देश की चिह्नित प्रतिमाओं में से यह एक है।

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सीएसआर मद से भैरोंनाथ मंदिर का कायाकल्प कराया जा रहा है। इनदिनों लॉकडाउन की वजह से श्रमिकों ने आना बंद कर रखा है इसलिए कार्य रुका हुआ है। इसे जल्द ही प्रारंभ कराएंगे ताकि समय पर कार्य पूरा किया जा सके।
अनुज प्रताप सिंह, कार्यपालन यंत्री हाउसिंग बोर्ड



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