जबलपुर
कोरोना महामारी और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार हाईकोर्ट द्वारा अंडर ट्रायल और सजायाफ्ता कैदियों को जमानत दिये जाने संबंधित संज्ञान याचिका की सुनवाई हाईकोर्ट में हुई. सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ को बताया गया कि पूर्व में जारी निर्देशों के अनुसार लगभग 15 हजार अस्थाई और स्थाई कैदियों को पैरोल का लाभ मिलेगा. इसके बावजूद भी जेल में कैदियों की संख्या निर्धारित से अधिक रहेगी. युगलपीठ ने सुनवाई करते हुए कोर्ट मित्र के सुझाव पर 7 साल और दो तिहाई सजा पूर्ण करने वाले कैदियों को पैरोल देने पर हाईपॉवर कमेटी को स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी के साथ बैठक कर निर्णय लेने आदेश जारी किये है
सरकार ने पेश किया जवाब
गौरतलब है कि संज्ञान याचिक की सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया था कि कोरोना की दूसरी लहर से सबसे ज्यादा प्रभावित प्रदेश में मध्य प्रदेश भी शामिल है. प्रदेश की जेलों में क्षमता से दोगुने कैदी बंद है. प्रदेश की 131 जेल में 45582 कैदी बंद है जबकि कुल क्षमता 28675 कैदियों की है. जेल में बंद 30982 कैदी अंडर ट्रायल है और 14600 कैदी सजायाफ्ता है, जिसमें से 537 महिला कैदी है. सर्वोच्च न्यायालय ने भी जेल में बंद सजायाफ्ता और अंडर ट्रायल कैदियों को स्थाई या अस्थाई जमानत दिये जाने के संबंध में राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश दिए है. जिसपर प्रदेश सरकार द्वारा प्रिजनर्स एक्ट में संशोधन किये जाने की जानकारी प्रस्तुत की गयी है. संशोधन के अनुसार कोरोना महामारी के मददेनजर कैदियों को 60 दिनों की पैरोल पर रिहा किया जा रहा है. पैरोल की अवधि 60 दिनों की बढोत्तरी किये जाने का प्रावधान है. पैरोल की अवधि 240 दिनों तक बढाई जा सकती है
हाईकोर्ट की युगलपीठ ने दिया आदेश
युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि इस संबंध में हाईपॉवर कमेटी और स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी सुझाव पर निर्णय ले. इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अर्नेश कुमार के मामले में गिरफ्तारी संबंधित आदेश का पालन किया जाये. आवश्यकता होने पर ही सात से कम सजा के मामले में पुलिस द्वारा गिरफ्तातार की जाये. इस संबंध में हाईकोर्ट रजिस्टार जनरल सभी जिला न्यायालय सहित संबंधित अधिकारियों को आदेश की प्रति के साथ दिशा-निर्देश जारी करे. याचिका पर 31 मई को सुनवाई निर्धारित की गयी है
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