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टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश की बदहाली: इस समयावधि में इतनी मौत का आंकड़ा पहली बार
भोपाल
टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश के लिए वर्ष 2021 परेशानी लेकर आया है। यहां पिछले साढ़े चार महीने में 22 बाघों की मौत हो गई। इनमें से छह तो पिछले आठ दिनों में मरे हैं। जनवरी से मई मध्य की अवधि में बाघों की मौत का इतना बड़ा आंकड़ा पहली बार सामने आया है। पिछले सात सालों में इस अवधि में हर साल 10 से 15 बाघों की मौत हुई थी। बाघ संरक्षण में बदहाली की यह स्थिति तब है, जब अगले साल सभी राज्यों में बाघों की गिनती शुरू होनी है।
बाघों की संख्या के मामले में दूसरे नंबर पर रहा कर्नाटक इस बार मध्य प्रदेश को कड़ी टक्कर दे सकता है। वर्ष 2018 के बाघ आकलन में कर्नाटक में 524 बाघ थे, जबकि 526 मध्य प्रदेश में थे। महज दो बाघ ज्यादा होने पर मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का तमगा मिला था। प्रदेश में करीब हर पांचवें दिन बाघ की मौत की खबर आ रही है। शुक्रवार को भी बांधगवढ़ टाइगर रिजर्व की बडखेरा बीट में बाघ का शव मिला है
इसे मिलाकर पिछले आठ दिनों में प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों से छह बाघों की मौत की खबर आ चुकी है वन अधिकारी बाघों की मौत का कारण नहीं बता पा रहे हैं ज्यादातर मामलों में वजह आपसी संघर्ष या प्राकृतिक मौत ही बताई जा रही है हालांकि तीन बाघों का शिकार भी हुआ है। जबकि दो की ट्रेन से कटकर मौत हुई है
देश में बाघों की मौत का सबसे बड़ा आंकड़ा
अप्रैल और मई में देश भर में बाघों की मौत का कोई आधिकारिक रिकार्ड नहीं है पर इस साल 31 मार्च तक के उपलब्ध आंकड़ों को देखें तो कर्नाटक में सिर्फ पांच बाघों की मौत हुई है। महाराष्ट्र और उत्तराखंड में भी संख्या ज्यादा नहीं है। इस हिसाब से मध्य प्रदेश बाघों की मौत के मामले में हर साल की तरह देश में पहले स्थान पर है। गौरतलब है कि वर्ष 2020 में प्रदेश में 30 और वर्ष 2019 और 2018 में 29-29 बाघों की मौत हुई थी।
इनका कहना :- ज्यादातर बाघों की मौत आपसी संघर्ष या प्राकृतिक रूप से हुई है। ट्रेन से कटने और शिकार के भी मामले हैं। जिनमें आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। मैदानी अधिकारियों को विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।
आलोक कुमार
मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक
(मध्य प्रदेश)
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