धारा 370 पर दिग्विजय सिंह और भाई लक्ष्मण सिंह आमने-सामने: लक्ष्मण बोले-अब वापस 370 लगाना मुमकिन नहीं
भोपाल
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Former CM Digvijay Singh) के जम्मू-कश्मीर में दोबारा आर्टिकल 370 लागू करने के बयान को लेकर सियासत गरमा गई है दिग्विजय सिंह के इस बयान पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग सहित कई बीजेपी नेताओं ने उन्हें आड़े हाथों लिया. लेकिन अब इस बयान पर दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि कश्मीर में दोबारा धारा 370 लागू करना संभव नहीं है. हां लेकिन सच यह भी है कि धारा 370 का समर्थन करने वाले फारूख अब्दुल्ला NDA की सरकार में मंत्री रह चुके हैं, जबकि महबूबा मुफ्ती का समर्थन भाजपा कर चुकी है. हालाकिं यह पहली बार नहीं है जब लक्ष्मण सिंह अपनी पार्टी के खिलाफ बयान दे रहे हो. पहले भी कांग्रेस के खिलाफ बयानबाजी कर चुके है
कश्मीर में पुनः "धारा 370"लगना अब संभव नहीं है।परंतु यह भी सच है कि "धारा 370"का समर्थन करने वाले फारूक अब्दुल्ला,NDA की सरकार में मंत्री रहे हैं।अथवा एक अन्य धारा 370 की समर्थक महबूबा मुफ्ती का समर्थन भाजपा कर चुकी है
विरोधी बयान से पहले भी चर्चा में रहे Laxman Singh
लक्ष्मण सिंह ने इससे पहले किसान कर्ज माफी पर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को ही कटघरे में खड़ा कर दिया था. उन्होंने कहा था कि राहुल को किसानों का कर्ज 10 दिन में माफ करने का वादा नहीं करना चाहिए था. कमलनाथ सरकार अपना वादा पूरा नहीं कर पाई, इसलिए हाथ जोड़कर गलती मान लेनी चाहिए
साथ ही महाराष्ट्र के गृहमंत्री को लेकर लक्ष्मण ने कहा था कि अगर 100 करोड़ रुपए प्रतिमाह मुंबई पुलिस के माध्यम से महाराष्ट्र के गृहमंत्री वसूल रहे हैं और यह सच है तो देशमुख 'देश" के 'मुख" नहीं हो सकते. लगता है महा अघाड़ी सरकार पिछड़ती जा रही है. कांग्रेस को समर्थन वापस लेना चाहिए
लोगों को दिग्विजय ने कहा अनपढ़
दिग्विजय सिंह द्वार दिए गए पाकिस्तान के पत्रकार को बयान के बाद विवाद खड़ा होने पर दिग्विजय ने लिखा कि अनपढ़ लोगों की जमात को Shall और Consider में फर्क शायद समझ में नहीं आता है. इस बयान के बाद दिग्विजय को लोगों की तीखी प्रतिक्रिया सामना भी करना पड़ा. इससे पहले क्लब हाउस पर चैट के दौरान दिग्विजय ने कहा था कि मुस्लिम बहुल राज्य में एक हिंदू राजा था. दोनों ने साथ काम किया. दरअसल, कश्मीर में सरकारी सेवाओं में कश्मीरी पंडितों को आरक्षण दिया गया था, इसलिए आर्टिकल 370 (Article 370) को रद्द करना और जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा कम करना अत्यंत दुखद निर्णय है.हमें निश्चित रूप से इस मुद्दे पर फिर से विचार करना होगा.इसे फिर से लाएंगे.
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