हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा की सरकारी अस्पतालों में बेकार पड़े वेन्टीलेटर्स को उपयोग में क्यों नहीं लाया जा रहा है?
जबलपुर
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि कोविड 19 की संभावित तीसरी लहर से लड़ने के लिए क्या इंतजाम हैं? निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज की अधिकतम दर क्यों तय नही की गई? मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने कोर्ट मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ के इस सवाल पर भी राज्य सरकार से जवाब मांगा की राज्य के सरकारी अस्पतालों में बेकार पड़े वेन्टीलेटर्स को उपयोग में क्यों नहीं लाया जा रहा है? कोर्ट ने 19 मई तक जवाब मांगा।
वहीं मुख्य याचिका के साथ संलग्न की गईं शेष याचिकाएं कोर्ट ने यह कहते हुए निराकृत कर दीं कि याचिकाकर्ता मुख्य याचिका में हस्तक्षेपकर्ता की हैसियत से अपनी, शिकायत या सुझाव प्रस्तुत कर सकते हैं कोर्ट ऐसे प्रत्येक हस्तक्षेप आवेदन पर गम्भीरता से विचार करेगी।उल्लेखनीय है कि कोरोना के इलाज में हो रही अनियमितताओं विशेषतः रेमडेसिविर की कालाबाजारी व ऑक्सीजन की कमी सहित निजी अस्पतालों की मनमानी के मसले पर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर यह जनहित याचिका दर्ज की है। इसकी सुनवाई में कोर्ट की सहायता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ को एमिकस क्यूरी (कोर्ट मित्र) नियुक्त किया गया है।
तीसरी लहर के लिए तैयारी नहीं : वरिष्ठ अधिवक्ता नागरथ की ओर से सोमवार को कोर्ट के समक्ष तीन अंतरिम आवेदन पेश किए गए कहा गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), आइसीएमआर सहित अन्य सभी प्रमुख संस्थाओं के अनुसंधान यह कह रहे हैं कि कोरोना की तीसरी लहर आने वाली है ऐसे में राज्य सरकार के पास इससे निपटने के लिए कोई तैयारी नहीं है आवेदन में राज्य सरकार से तीसरी लहर को देखते हुए की गई तैयारियों से कोर्ट को अवगत कराने का आग्रह किया गया
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